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आयिये रुबरु होते हैं

कुछ ऐसे दबे राज़ो से!

होगी मुलाक़ात कलम कागज़ की,

फिर मेरे अल्फ़ाज़ो से!


🖋️ Chirag Sethi

 
 
 

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